हिंदी साहित्य (Hindi Literature) | Hindi Sahitya


हिंदी साहित्य: हिंदी भाषा की उत्पत्ति और रचना हिंदी साहित्य के साथ गहरा रूप से जुड़ी है। हिंदी देश में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। हिंदी साहित्य का उत्थान प्राचीन भारत की संस्कृत भाषा से हुआ है। हिंदी भाषा का विकास धीरे-धीरे हुआ, जिसमें अपनी पहचान बनाने और खड़े होने में कई सालों का समय लगा। हालांकि, आज हिंदी साहित्य को ग्लोबली पढ़ा और लिखा जा रहा है। कविता, कहानी, नाटक, निबंध, जीवनी, रेखाचित्र, यात्रा-वृतांत, समालोचना, आदि सभी हिंदी साहित्य का हिस्सा हैं। इसे आमतौर पर माना जाता है कि हिंदी साहित्य की शुरुआत कविता से हुई थी।

Hindi Sahitya ka Parichaya

हिंदी साहित्य

इस पोस्ट के माध्यम से हम साहित्य के कई पहलुओं को जानने की कोशिश करेंगे, जैसे कि हिंदी साहित्य क्या है, हिंदी साहित्य की परिभाषा क्या है, हिंदी साहित्य के कितने प्रकार हैं, हिंदी साहित्य में क्या क्या आता है, हिंदी साहित्य का इतिहास (हिंदी साहित्य का इतिहास), हिंदी साहित्य का काल विभाजन (हिंदी साहित्य का काल विभाजन) आदि। इस पोस्ट में दी गई हिंदी साहित्य से जुड़ी तमाम जानकारी को पढ़कर आप हिंदी साहित्य का इतिहास नोट्स भी बना सकते हैं। यदि हम हिंदी भाषा और उसकी विकास यात्रा को समझना चाहते हैं, तो पहले हमें हिंदी साहित्य और हिंदी साहित्य का इतिहास काल विभाजन एवं नामकरण के बारे में जानना होगा। इससे हमें पता चलेगा कि कैसे हिंदी को मौखिक भाषा से लिखित भाषा में मजबूत किया गया है।

हिंदी साहित्य (Hindi Literature) क्या है?

  • हिंदी भाषा में लिखा जाने वाला और पढ़ा जाने वाला कोई भी अर्थपूर्ण सामग्री हिंदी साहित्य कहलाता है। हिंदी साहित्य, हिंदी भाषा की रचना में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसे भाषा की ऊर्जा और सांस्कृतिक धाराओं का परिचायक माना जाता है। यहाँ तक कि प्राचीन काल में भारत में हिंदी भाषा केवल बोली और सुनी जाती थी, लेकिन हिंदी साहित्य ने इसे लिखित और पठित बना दिया। इसे देखते हुए हम कह सकते हैं कि हिंदी साहित्य भूत, वर्तमान और भविष्य की रूपरेखा में अत्यंत महत्वपूर्ण है।

हिंदी साहित्य की परिभाषा

हिंदी साहित्य का क्षेत्र इतने बड़ा और व्यापक है कि इसको परिभाषित करना थोड़ा मुश्किल कार्य है। लेकिन संस्कृत के एक आचार्य कुंतक ने इसकी परिभाषा देते हुए कहा है कि-

‘जब शब्द और अर्थ के बीच सुंदरता के लिये स्पर्धा या होड लगी हो, तो साहित्य की सृष्टि होती है। सिर्फ संस्कृतनिष्ठ या क्लिष्ट लिखना ही साहित्य नहीं है और न ही अनर्थक तुकबंदी साहित्य की श्रेणी में आती है।’

अर्थात् इस आधार पर हम भी हिंदी साहित्य की परिभाषा के रूप में कह सकते हैं कि हिंदी भाषा की कोई भी वह रचना जो अर्थहीन और भावविहीन है वह हिंदी साहित्य नहीं है। हिंदी साहित्य में किसी रचना के अर्थ और भाव ही गहरायी प्रदान करते हैं और उस रचना को साहित्य की श्रेणी में लाने का काम करते हैं।

हिंदी साहित्य का इतिहास और काल विभाजन

इतिहास संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है ‘वे घटनाएँ जो हो चुकी हैं’। हिंदी साहित्य का इतिहास भी उसी अद्वितीय कालगत अनुभवों का अध्ययन करता है जो समय के साथ बदलते रहे हैं। इसका अध्ययन करने से हम हिंदी साहित्य की उत्पत्ति, विकास, और उसके विभिन्न कालों में परिणामी परिवर्तनों को समझ सकते हैं।

हिंदी साहित्य का इतिहास लगभग 1000 ईसा पूर्व के आसपास शुरू होता है, जब हिंदी भाषा ने संस्कृत भाषा के साथ मिलकर विकसित होना शुरू किया। इस समय हिंदी पूर्ण रूप से शुद्ध नहीं थी, लेकिन यह समय के साथ साथ में बदलती रही और उसने विभिन्न क्षेत्रों में अपनी भूमिका बढ़ाई। इसी प्रकार, हिंदी साहित्य का इतिहास एक नए रूप की सृष्टि का इतिहास है, जिसमें भाषा, सांस्कृतिक अनुभव, और समाज के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन होता है।

हिंदी साहित्य के इतिहास की चर्चा में, हम हिंदी साहित्य के काल विभाजन और नामकरण के साथ संवाद करेंगे। हमें यह जानकर आत्मा होगा कि हिंदी साहित्य ने समय के साथ कैसे विकसित होकर विभिन्न कालों में बदला और कैसे इसने समाज और पर्यावरण के परिवर्तनों का सामर्थ्यपूर्ण सारांश प्रदान किया है।

 

हिंदी साहित्य में कई काल हैं जो इसके विकास की प्रक्रिया को प्रतिनिधित्व करते हैं, जैसे- आदिकाल, भक्तिकाल, रीतिकाल, और आधुनिक काल। यह काल विभाजन न केवल साहित्य के रूप और स्वरूप में परिवर्तन दिखाता है, बल्कि इसमें समाज, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक परिवर्तनों का परिचायक भी होता है।

 

हिंदी साहित्य के इतिहास में, विभिन्न आंदोलनों ने हिंदी भाषा के विकास के लिए अहम भूमिका निभाई है। इनमें से कुछ महत्त्वपूर्ण आंदोलन हैं जैसे कि छायावाद, प्रगतिवाद, और प्रयोगवाद।

हिंदी साहित्य के प्रकार

  1. आदिकाल (Ancient Period): हिंदी साहित्य के आदिकाल को “शिशु काल” भी कहा जाता है, जो कि हिंदी के लिए विरोधी और आलोचक काल रहा। आदिकाल 1400 ई. से पहले का काल माना जाता है जब हिंदी भाषा का उद्भव होना शुरू हुआ था। इस काल में अपभ्रंश या अवहट्ट का प्रभाव हिंदी भाषा पर मौजूद था। आदिकाल को हिंदी साहित्य का समृद्धि युग माना जा सकता है।
  2. भक्तिकाल (Bhakti Period): भक्तिकाल, 1400 ई. से 1700 ई. तक का युग है जो हिंदी साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस काल में संत कवियों ने भगवान के प्रति अपनी अद्वितीय भक्ति को व्यक्त किया और इससे हिंदी साहित्य में भक्तिरस का प्रमुख स्थान मिला। भक्तिकाल में मीराबाई, सूरदास, तुलसीदास जैसे कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समाज को धार्मिक और नैतिक सिख दी।
  3. रीतिकाल (Ritikavya Period): रीतिकाल 1700 ई. से 1900 ई. तक का युग है जिसमें हिंदी साहित्य में काव्यरूप की बड़ी विकास थी। इस काल में कवियों ने अपनी रचनाओं में रीति (शृंगार-रस) का प्रधानता स्थान दिया। रीतिकाल के कवियों ने अपने उत्कृष्ट काव्य रचनाओं के माध्यम से साहित्य को सौंदर्यशास्त्र के स्वरूप में परिभाषित किया और उच्च कला का आलंब बनाया।
  4.  आधुनिक काल (Modern Period): आधुनिक काल 1900 ई. से आज तक का समय है जिसमें हिंदी साहित्य ने समाज, राजनीति, और साहित्यिक चेतना को नए रूपों में व्यक्त किया है। इस काल में कई आंदोलन और समाजसेवी चेतना व्यक्त हुई हैं, जो हिंदी साहित्य को विभिन्न प्रतिभागियों के माध्यम से समृद्धि दिलाने में सक्रिय रहे हैं।

हिंदी साहित्य के प्रकार

आधुनिक काल में हिंदी साहित्य को तीन प्रकार में विभाजित किया गया, जिसमें गद्य, पद्य और चम्पू शामिल हैं। हिंदी साहित्य के इन तीन प्रकार को हम इस तरह से भी समझ सकते हैं, जैसे-

  1. गद्य साहित्य एक लोकप्रिय साहित्यिक शैली है जो अनेक रूपों में प्रकट हो सकती है। यहां आपको कुछ गद्य साहित्य के प्रमुख प्रकारों की एक संक्षेपित सूची मिलेगी:
  2. कहानी (Story): गद्य साहित्य में कहानियाँ अहम भूमिका निभाती हैं, जो विभिन्न प्रकार की कल्पनाओं, वास्तविकताओं, और व्यक्तिगतताओं को छूने का प्रयास करती हैं।

  3. उपन्यास (Novel): उपन्यास एक लंबी विवरणात्मक कहानी होती है जो व्यक्ति, समय, और स्थान की विस्तृत छवि प्रदान करती है।

  4. नाटक (Drama/Play): नाटक एक स्थायी स्थायी प्रदर्शन कला है जो विभिन्न पात्रों के माध्यम से किसी कथा को प्रस्तुत करती है।

  5. निबंध (Essay): निबंध एक विशेष विषय पर विचार करने, व्यक्त करने, और व्याख्या करने का एक प्रमुख तरीका है।

  6. यात्रा विवरण (Travelogue): यह लेखक की यात्रा और उनके यात्रा स्थलों के विवरणों पर आधारित होता है।

  7. डायरी (Diary): डायरी व्यक्तिगत अनुभव, दैहिक और मानसिक विचार, और रोज़मर्रा की घटनाओं को रिकॉर्ड करने के लिए एक माध्यम हो सकती है।

  8. संस्मरण (Memoir): संस्मरण व्यक्तिगत जीवन के कुछ विशेष घटनाओं या कारणों का विवरण करने के लिए उपयोग होता है।

  9. जीवनी (Biography): जीवनी एक व्यक्ति के जीवन का विवरण होती है, जिसमें उनके जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएं और कार्यों का सुलझाव किया जाता है।

  10. आत्मकथा (Autobiography): आत्मकथा व्यक्ति द्वारा खुद की जीवनी का विवरण है, जिसमें वह अपने अभिजीवन, विचार, और अनुभवों को साझा करता है।

  11. लेख (Article): लेख विशिष्ट विषयों पर विचार और तथ्यों को संग्रहित करने का एक तरीका है, जो पठनीय और शिक्षाप्रद हो सकता है।

  12. संपादकीय (Editorial): संपादकीय एक प्रमुख विषय पर एक दृष्टिकोण प्रदान करने का प्रयास होता है, और यह अक्सर किसी विशेष मुद्दे पर सार्वजनिक राय को प्रकट करता है।

ये गद्य साहित्य के प्रमुख प्रकार हैं, जो विभिन्न रूपों में हमें रोचकता और साहित्यिक अनुभव प्रदान करते हैं।

2.पद्य साहित्य कविता, गीत, दोहे, गजल, नज़्म, शायरी, और अन्य साहित्यिक रूपों को शामिल करता है। यह विशिष्ट छंद, अलंकार, और भाषा का सही उपयोग करके भावनाओं और विचारों को सुंदरता के साथ व्यक्त करने का एक अद्वितीय तरीका है। यह आकर्षक रूप से व्यक्तिगत अभिव्यक्ति का माध्यम है और साहित्यिक सृष्टि की रूपरेखा को बढ़ावा देता है।

  • कविता (Poetry): कविता एक अलगावचक और सुंदर भाषा में लिखी जाती है जिसमें रचना को सुंदरता के साथ व्यक्त करने का प्रयास किया जाता है। इसमें छंद, अलंकार, और भावनाएं समाहित होती हैं।
  • दोहे (Couplets): दोहे छंदों में लिखे जाने वाले छोटे-छोटे शेर होते हैं जो एक विशिष्ट विचार को प्रस्तुत करते हैं।
  • गीत (Song): गीत लगभग सभी भाषाओं में मिलते हैं और इसमें संगीत के साथ भावनाओं को व्यक्त करने का प्रयास किया जाता है।
  • नज़्म (Poem): नज़्म एक विशिष्ट छंद में रची गई भाषा है जिसमें भावनाएं और विचार व्यक्त किए जाते हैं।
  • गजल (Ghazal): गजल एक मुकर्रर छंद में लिखी गई होती है जिसमें प्रेम, इश्क, और शायर की भावनाओं को व्यक्त करने का प्रयास किया जाता है।
  • शायरी (Shayari): शायरी भाषा की सुंदरता के साथ भावनाओं को साझा करने का एक अद्वितीय तरीका है, और इसमें कविता, दोहे, और गजल का समाहित रूप होता है।

इस प्रकार, पद्य विशेष रूप से विभिन्न साहित्यिक रूपों के माध्यम से विचार और भावनाएं साझा करने का एक आकर्षक तरीका है।

चंपू साहित्य (Champu Literature): चंपू साहित्य एक ऐसा साहित्य है जो गद्य और पद्य का समृद्धित रूप है। इसमें गद्य और पद्य का मिश्रण होता है और एक साहित्यिक रचना को रूपांतरित करने के लिए उपयोग होता है। यह विशेषकर काव्यांश (पद्य) और गद्यांश (गद्य) को मिलाने का प्रयास करता है।

 

3.चंपू साहित्य का उदाहरण ब्रजभाषा में मिलता है, जो मध्यकालीन हिंदी साहित्य का महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें शृंगार, भक्ति, और विराट रूप में काव्य रचना करने का प्रयास किया गया है।

चंपू साहित्य का उदाहरण:

“भूप, देव व्रत, कवि वाक्य शोभा वैसी, जो शास्त्र श्रुति ब्राह्मण, सभी शास्त्र समैसी।”

इस उदाहरण में, चंपू साहित्य गद्य और पद्य को एक साथ मिलाता है और विभिन्न शृंगारिक, भक्तिक, और शास्त्रीय तत्वों को अद्वितीय ढंग से प्रस्तुत करता है।

FAQs
People also ask

Q- हिंदी साहित्य में क्या क्या आता है?
उत्तरः हिंदी साहित्य में निबंध, कहानी, नाटक, कविता, शायरी आदि आते हैं।

Q – हिंदी साहित्य में काल कितने होते हैं?
उत्तरः हिंदी साहित्य में मुख्य चार काल होते हैं, 1. आदिकाल, 2. भक्तिकाल, 3. रीतिकाल और 4. आधुनिक काल।

Q- हिंदी साहित्य का आरंभ कब हुआ?
उत्तरः हिंदी साहित्य का आरंभ 8वीं शताब्दी में आदिकाल के साथ माना जाता है।

Q- हिंदी साहित्य का इतिहास कब और किसने लिखा?
प्रश्न- हिंदी साहित्य का इतिहास आदिकाल से लिखना शुरू हुआ जिसमें हिंदी के कई विद्वानों ने अपना-अपना योगदान दिया।

Q- हिंदी साहित्य के जनक कौन है?
उत्तरः आधुनिक काल के भारतेंदु हरिश्चंद्र को हिंदी साहित्य का जनक कहा जाता है।

Q- आदिकाल का दूसरा नाम क्या है?
उत्तरः आदिकाल को बीजवपन काल भी कहते हैं।

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